गर्भ संस्कार
गर्भावस्था के दोरान गर्भ में पलने वाला शिशु जन्म से पहले माँ के जरिये बहुत कुछ सीखने लगता है, अर्थात् माँ की समस्त दैनिक क्रियाओ का गर्भस्थ शिशु के ऊपर सीधा असर पड़ता है, गर्भस्थ शिशु द्वारा माँ के जरिये सीखने की इस प्रक्रिया को भारतीय संस्कृति में गर्भ संस्कार कहा जाता है, यही कारण है, कि गर्भवती महिलाओ को अच्छे से अच्छे माहोल देने की कोशिश की जाती है, Doctors तथा परिवारजन गर्भवती महिला को सदा सलाह देते है, की वह हमेशा खुश रहे, Balanced Diet ले, अच्छी Books पड़े, मधुर संगीत सुने, योगाभ्यास करे तथा ऐसे काम करे जो उसको ख़ुशी दे!
गर्भ संस्कार बहुत पुराने समय से चली आ रही मान्यता है, इसका उल्लेख महाभारत काल से ही सुनने को मिलता है, ऐसा माना जाता है, कि अभिमन्यु ने चक्रव्यूह तोड़ने की कला गर्भावस्था के दोरान ही सीखी थी जब अर्जुन अभिमन्यु की माँ को चक्रव्यूह भेदने की कला सुना रहे थे!
आजकल वैज्ञानिक भी इस बात को मानने लगे है, कि बच्चे के सीखने की शुरुआत माँ के गर्भ से ही शुरू हो जाती है, माँ के गर्भ में ही बच्चा सुनने लगता है, और उसी के अनुसार सीखने भी लगता है!
Importance
गर्भ संस्कार का सीधा असर गर्भस्थ शिशु के दिमाग पर होता है, इसी कारण महिलाओ को गर्भ संस्कार के बारे में जरुर शिक्षित करना चाहिए ताकि शुरू से ही बच्चे के कोशल का विकास हो सके!
सामान्यतः बच्चे के मस्तिष्क का विकास गर्भ में 3 से 7 माह के बीच तेजी से होता है, इस दोरान Neurons Cells जो की मस्तिष्क का विकास करती है, बहुत तेजी से बनती है, यदि माँ इस समय कोई भी सकारात्मक क्रियाए करती है, तो इससे बच्चे के Neurons पर भी सकारात्मक असर पड़ता है, और बच्चे का मस्तिष्क अच्छी तरह विकास कर पाता है!
गर्भ संस्कार में गर्भावस्था के चरण के अलावा स्तनपान का चरण भी होता है!
गर्भ संस्कार के दोरान किये जाने वाले कुछ भारतीय संस्कार
मन्त्र – मन्त्र सकारात्मक उर्जा के बहुत अच्छे Source होते है, इनके जाप करने से मन को शांति और पवित्रता मिलती है, मंत्रो का जाप गर्भ में ही बच्चे के आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है, भारतीय संस्क्रति के अनुसार कुछ मन्त्र जो की गर्भ संस्कार में लाभ पंहुचा सकते है,
गायत्री मन्त्र – आत्म विश्वास बढ़ाता है-
“ओम भुर भुवः स्वाः,
तत सवितुर वरेण्यम,
भारगो देवस्य धिमही,
धियो यो ना प्रचोदयात”
सरस्वती मन्त्र – बुद्धि एवं ज्ञान बढाता है-
“या कुंडेंदु तुषारहारा धवला या शुभ्रा वस्त्रवृता”
या वीणा वरदंड मन्दिताकार या श्वेता पद्मासन
या ब्रह्मच्युत शंकर प्रभृतिबिहि देवैः सदा पूजित
सा मम पट्टू सरवती भगवती निश्शेष जद्यपहा”
विष्णु मन्त्र – व्यक्तित्व का विकास करता है-
“शांता आकाराम भुजगा शयनं पद्म नाभम सुरा ईशम”
विश्व आधारम गगन सद्र्शं मेघा वर्ण शुभ अंगगम,
लक्ष्मी कणतम कमला नयनम योगीबीर ध्यान गम्यम
वंदे विष्णुम भव भाया हरम सर्व लोक एक नाथम”
· मनोजवं मंत्र: – प्रबल इच्छा शक्ति और शक्ति प्रदान करता है!
शक्ति और इच्छा शक्ति प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जाप भगवान हनुमान से प्रार्थना के रूप में किया जाता है।
मंत्र:
“मनो जावं मारुता तुल्या वेगम”
जितेंद्रियं बुद्धि मातम वरिष्ठ,
वात आत्मजं वानर युथा मुखिया:
श्री राम दुतम शरणंम प्रपद्ये”
गर्भ संस्कार संगीत – संगीत का भी महिलाओ के मन और बच्चे के मन एवं मस्तिष्क पर सीधा असर पड़ता है, संगीत भी सकारात्मक उर्जा का एक अच्छा Source है, कुछ गर्भ संस्कार संगीत उपलब्ध है, जिन्हें गर्भावस्था के दोरान सुना जाता है,
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उपरोक्त जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए दी गई हें एवं यह किसी भी तरह के चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं हें । कृपया कोई भी बदलाव शुरू करने से पहले अपने स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञ से Consult करे !
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D.S. Rajput
Content Writer

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